National Science Day 2023: आज का दिन हमारे लिए काफी खास रहने वाला है क्योंकि आज दुनिया के सभी वैज्ञानिकों के बीच रमन प्रभाव को देने वाले भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन को याद करते हुए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल की तरह इस बार भी मनाया जा रहा है, भारतीय होने के नाते आज का दिन यानी कि 28 फरवरी हर साल हमारे लिए विज्ञान दिवस के रूप में काफी सालों से मनाया जा रहा है, इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं कि आज का दिन हमारे लिए किस तरह खास रहने वाला है, वैसे तो सीवी रमन हमारे भारतीय वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि हर वह युवा जो कि विज्ञान को ऊंचाइयों तक ले जाना चाहता है और हमारे भारत देश को रोशन करना चाहता है,
जब कभी भी विज्ञान की बात आती है तो विज्ञान सामान्यतः प्रयोगों पर आधारित होता है लेकिन इन प्रयोगों को भारतीय जीवन शैली से जोड़ने का श्रेय डॉक्टर सी वी रमन को जाता है। विज्ञान दिवस के दिन सीवी रमन ने रमन प्रभाव की खोज की रमन प्रभाव के उपलक्ष में डॉक्टर सी वी रमन को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । विज्ञान दिवस वैज्ञानिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण दिन है , विज्ञान दिवस को मनाने का साधारण उपलक्ष्य है कि इस दिन सी वी रमन ने पौधों के कणों की लचीली वितरण के बारे में जानकारी दी थी ।


आखिर क्या हैं रमन प्रभाव
इसके अनुसार जब कोई एक पानी प्रकाश द्रव और ठोसों से होकर गुजरता है तो उसमें आप प्रकाश के साथ अत्यंत तीव्रता का कुछ अन्य मनो का प्रकाश देखने में आता है जो कि विज्ञान के क्षेत्र में काफी सुविधाजनक और महत्वपूर्ण साबित होता है । हमारे दैनिक जीवन में घटित होने वाली घटनाएं जैसे कि प्रकाश का अपवर्तन, परावर्तन, विवर्तन व्यतिकरण और अन्य जो कि हमारी विज्ञान को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होते हैं । इनके लिए काफी कारगर साबित होता है , विज्ञान केवल वैज्ञानिक दृष्टि से बल्कि सोचने की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण सिद्ध होता है, विज्ञान दिवस रमन प्रभाव के उपलक्ष में मनाया जाता है,
जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से गुजरता है तब वह प्रकाश को मोड़ देता है क्योंकि इसकी तरंगे दर्रे और आवृत्ति का मान बदल जाता है, इस अद्भुत से प्रकाश के फेल जाने को इन्होंने संशोधित फैलाव कहा जिसे बाद में रमन प्रभाव के नाम से जाना गया और रमन प्रकरण के नाम से भी जाना गया और इस चीज के लिए 1930 में उन्हें भौतिकी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था,
कौन हैं सीवी रमन
- इनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन है और इनका जन्म 7 नवंबर 1888 को ब्रिटिश भारत के मद्रास शहर में तिरछी पल्ली में हुआ था
- उन्होंने 11 और 13 वर्ष की आयु में एंग्लो भारतीय हाई स्कूल से अपनी कक्षा दसवीं और कक्षा 12वीं को पास किया था और उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से अपने बीएससी की भौतिकी की डिग्री में टॉप किया था तब यह मात्र 16 वर्ष के थे,
- 1996 इनका एक रिसर्च पेपर जोकि प्रकाश के अपवर्तन के बारे में था, उस समय यह ग्रेजुएशन कर रहे थे। अगले साल उन्होंने एमएससी के लिए आवेदन किया
- 19 साल की उम्र में उन्होंने भारतीय फाइनेंस सर्विस को कोलकाता में एक सहायक अकाउंटेंट के रूप में ज्वाइन किया,
- IACS से जुड़ने के बाद स्वतंत्र रूप से Research करने का इनको मौका मिला और उन्होंने प्रकाशिकी के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान दिया
- इनका देहांत 21 नवंबर 1970 को 82 वर्ष की आयु में बेंगलुरु में massorie इंडिया में हुआ था
- इन्होंने अपनी बीए और एमए की डिग्री मद्रास यूनिवर्सिटी से पूरी की थी और इन्हें रमन प्रभाव के लिए जाना जाता है
- इनके बच्चों का नाम चंद्रशेखर रमन और राधाकृष्णन था
- इनको अपने जीवन काल में कई पुरस्कारों से नवाजा गया जिनके बारे में हम आपको बताने वाले हैं
- इन्हें रॉयल सोसाइटी के फलों के रूप में 1924 में पुरस्कार दिया गया
- 1928 में मैटर कई मेडल दिया गया
- 1930 में नाइट बैचलर के खिताब से नवाजा गया
- 1930 में युक्त मेडल प्रदान किया गया
- 1930 में ही इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जो कि भौतिकी के क्षेत्र में था, एशिया में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे जिन्हें विज्ञान के किसी भी शाखा में पहला नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था
- 1954 में इन्हें भारत रत्न से नवाजा गया क्योंकि इन्होंने भारतीय वैज्ञानिक इतिहास में अभूतपूर्व खोज की थी,
- 1957 में इन्हें लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया
जब यह पहली बार यूरोप जा रहे थे तब भूमध्य सागर को देखते हुए इनके दिमाग में समुद्र के नीले कलर होने की जिज्ञासा जागृत हुई, और इस से प्रेरित होकर उन्होंने रेले प्रकीर्णन के बारे में लोगों को समझाया जो कि आकाश से होता है, अपने अंतिम दिनों में उन्होंने 1948 में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की,
भारतीय सरकार के द्वारा उन्हें पहले भारत रत्न के रूप में नवाजा गया था और यह भारत का सर्वोच्च सिविल पुरस्कार माना जाता है, इसके बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीतियों का विज्ञान के रिसर्च के बारे में विरोध करते हुए वापस लौटा दिया था,