हेलो दोस्तों इस पोस्ट में हम आपको बताने वाले हैं कि आज 6 अप्रैल 2023 को हर साल की तरह हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है, इस पोस्ट में हनुमान जन्मोत्सव से जुड़ी रोचक जानकारी हमको हम आपके साथ साझा करने वाले हैं, इस पोस्ट में हम अंजनी पुत्र हनुमान जी के जीवन से जुड़े हुए रहस्यों को उजागर करना चाहते हैं


यह तो हर कोई जानता है कि हनुमान जी भगवान शिव का एक अवतार है और हनुमान जी भगवान शिव के 11th अवतार है, और इनका जन्म 11 अवतार के रूप में उनके माता के श्राप को खत्म करने के कारण हुआ था, हनुमान जी की माताजी अंजनी को एक श्राप मिला था, किसी भी पुत्र या पुत्री को जन्म नहीं दे पाएंगे, लेकिन माता अंजनी ने घोर तपस्या की मदद से भगवान शिव की आराधना की और और भगवान शिव जी ने माता अंजनी को आशीर्वाद दिया कि वह उनकी कोख से उन के 11 रुद्र अवतार के रूप में जन्म लेंगे और इस तरह उनका यहां श्राप तोड़ने में वह सफल रही,
राम भगवान के लंबी उम्र के लिए सीता माता अपनी मांग में सिंदूर लगाया करते थे, यह बात जब हनुमानजी को पता चलेगा तो अपने पूरे शरीर में सिंदूर लगा लिया था और यहां से यह परंपरा शुरू हुई की हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाने लगा, जबकि उन्होंने यहां सिर्फ अपने प्रभु श्री राम को प्रसन्न करने के लिए किया था, वे मानते थे कि सीता माता जब प्रभु की लंबी उम्र के लिए सिंदूर लगाती है तो क्यों ना वह समस्त संदूर को अपने शरीर में ही लगा ले ताकि प्रभु श्रीराम युगो युगो तक जीवित रहे
हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा
दोस्तों हनुमान जी का नाम हनुमान इनके ठोड़ी के आकार के कारण पड़ा था, संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी और बचपन में ही इसी कारण वह हनुमान के नाम से प्रसिद्ध हुए थे, और ऐसे कारण हनुमान जी का नाम हनुमान पढ़ा था
हनुमान जी जीवन भर ब्रह्मचारी रहे थे लेकिन फिर भी उनके एक पुत्र था, और हिंदू संस्कृति में राम भक्त हनुमान को सभी ब्रह्मचारी के रूप में देखते हैं लेकिन इस बात को बहुत कम ही लोग जान पाते हैं कि उनका एक पुत्र भी था, आइए हम इसके बारे में भी आपको बताते हैं, जब हनुमान जी लंका की तरफ जा रहे थे, उसी समय एक राक्षस के साथ जब उनका भयंकर युद्ध हुआ था तब लड़ते-लड़ते वह थोड़ा सा थक गए थे, और उनके शरीर से पसीने की एक बूंद निकली, बूंद को एक मगरमच्छ ने निकल लिया था और उसके बाद उनके एक पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम था मगर ध्वज।
राम भगवान ने दी मौत की सजा
प्रिय मित्रों आप को भी मालूम होगा कि एक क्षण ऐसा आया था जब प्रभु श्री राम ने हनुमान जी को मौत की सजा भी सुनाई थी लेकिन प्रभु श्री राम का अटूट विश्वास उनके मन में था इसलिए वह इस से भी बच गए थे, ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि प्रभु श्रीराम के प्रिय गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमान जी से गुस्सा हो गए थे, और उन्होंने अपने शिष्य प्रभु श्री राम को हनुमान जी को मौत की सजा सुनाने का आदेश दिया था लेकिन उन्होंने अपने गुरु की बात मानते हुए हनुमान जी को सजा देने का फैसला किया था, और इसी दौरान हनुमान जी बार-बार बार-बार प्रभु श्री राम का नाम जप रहे थे और ऐसे कारण प्रभु श्री राम द्वारा चलाए गए अस्त्र और शस्त्र यहां पर काम नहीं कर रहे थे और इनका हनुमान जी पर कुछ भी असर नहीं हुआ था, और और सारे के सारे अस्त्र और शस्त्र यहां पर विफल हो गए थे
नाखूनों से लिख देती रामायण
दोस्तों लंका कांड शुरू होते हिमालय जाकर हनुमान जी ने अपने नाखूनों के सहायता से रामायण लिखी थी और जब वाल्मीकि जी को इस बात का मालूम चला कि हनुमान जी रामायण लिखने हिमालय गए हैं तो हनुमान जी ने अपने बड़प्पन का उदाहरण देते हुए वाल्मीकि जी का सम्मान करते हुए समस्त लिखी गई रामायण को समुद्र में फेंक दिया था
महाबली भीम का उतारा घमंड
इसके साथ ही महाभारत का एक किस्सा भी आपको मालूम होगा की और आपने महाभारत को टीवी में जब देखा होगा तब आपने यह कैसा भी देखा होगा कि भीम एक वानर से युद्ध करने की जिद कर रहे थे और हनुमान जी ने युद्ध की स्वीकारते हुए भीम से युद्ध किया था, और यहां पर उन्होंने अपने पूछ को जमीन पर बिछा दिया था, यह हनुमानजी ने वानर के अवतार में भीम का घमंड तोड़ने के लिए क्या था, यहां पर भीम जिनके पास 100 हाथियों से भी ज्यादा ताकत थी यह माना जाता था, वह हनुमान जी की पूंछ को हिला भी नहीं पाए थे। और उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि पवन पुत्र हनुमान जी के भाई भीम थे, क्योंकि हनुमान जी भी पवन के पुत्र थे और भीम भी पवन के पुत्र थे। और इस प्रकार दोनों भाई भाई थे, यहां पर हनुमान जी ने अपने भाई होने के धर्म के पालना की थी।
जब प्रभु श्री राम ने अपना देह त्यागा
दोस्तों आपको यह बात भी मालूम होगी कि एक्शन प्रभु श्री राम को अपना देह त्याग ना था, और उनको इस बात का भय था कि यदि हनुमान जी को इस बात का मालूम चला कि प्रभु श्री राम अपना देह त्याग रहे हैं तो वह तबाही मचा देंगे, और हनुमान जी इस बात को स्वीकार भी नहीं कर पाएंगे, और वह धरती पर उथल-पुथल नहीं मचा दे, इससे बचने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी का सहारा लिया था, और उन्हें शांत रखने के लिए पाताल लोक में उनको भेज दिया था और उसके बाद प्रभु श्री राम ने अपना देह त्याग दिया था।
जब हनुमान जी ने सीना चीर के दिखा दिया
दोस्तों एक समय ऐसा भी आया था जब हनुमान जी को प्रेमवश माता सीता ने एक हार भेंट किया था लेकिन हनुमान जी ने इसे लेने से मना कर दिया था और एक बात से माता-पिता बहुत नाराज हो गई थी और उन्होंने कहा था कि क्या तुम इस हार को नहीं ले सकते, और इस बात पर हनुमान जी ने अपनी छाती चीर कर उसमें बसे अपने प्रभु श्री राम की छवि उनको दिखाई थी और उन्होंने माता सीता को बताया कि प्रभु श्रीराम से ज्यादा अनमोल उनके लिए कुछ भी नहीं है और इस घटना के बाद प्रभु श्री राम के मन में हनुमान जी को लेकर प्रेम और भी बढ़ गया था
क्यों लेना चाहिए हनुमान जी का 108 बार नाम
दोस्तों हमने यह भी सुना है कि सनातन धर्म में हमें प्रभु श्री राम और प्रभु श्री हनुमान जी का नाम 108 बार लेना चाहिए लेकिन ऐसा क्यों है ऐसा इसलिए है क्योंकि हनुमान जी के संस्कृत में 108 नाम है, और प्रत्येक नाम उनके जीवन के एक दौर का बखान करता है प्रत्येक नाम उनके जीवन से जुड़ी हुई घटनाओं के बारे में बताता है, और इसी वजह से प्रभु श्री राम और प्रभु श्री हनुमान का नाम 108 बार लेना उनके जीवन के प्रत्येक हिस्से को यहां करते हुए उनका स्मरण करने से है
प्रिय दोस्तों हमने हनुमान जी के जन्मोत्सव पर आपको हनुमान जी से जुड़ी रोचक जानकारियां इस पोस्ट में शेयर की है, आशा करते हैं कि आपको यह सभी जानकारियां पसंद आएंगी और आप प्रभु श्री राम और प्रभु श्री हनुमान जी के जीवन से जुड़े हुए कुछ सुने अनसुने तत्वों से परिचित हो पाएंगे हो गए होंगे, इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद आपका दिन शुभ हो। मेरी तरफ से आपको हनुमान जन्मोत्सव के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।