इनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन है और इनका जन्म 7 नवंबर 1888 को ब्रिटिश भारत के मद्रास शहर में हुआ था

उन्होंने 11 और 13 वर्ष की आयु में एंग्लो भारतीय हाई स्कूल से अपनी कक्षा दसवीं और कक्षा 12वीं को पास किया था और उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से अपने बीएससी की भौतिकी की डिग्री में टॉप किया था तब यह मात्र 16 वर्ष के थे,

IACS से जुड़ने के बाद स्वतंत्र रूप से Research करने का इनको मौका मिला और उन्होंने प्रकाशिकी के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान दिया

– रॉयल सोसाइटी के Fellow के रूप में 1924 में पुरस्कार दिया गया – 1928 में मैटर कई मेडल दिया गया – 1930 में नाइट बैचलर के खिताब से नवाजा गया – 1930 में युक्त मेडल प्रदान किया गया – 1930 में ही इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया

एशिया में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे जिन्हें विज्ञान के किसी भी शाखा में पहला नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था

जब यह पहली बार यूरोप जा रहे थे तब भूमध्य सागर को देखते हुए इनके दिमाग में समुद्र के नीले कलर होने की जिज्ञासा जागृत हुई, और इस से प्रेरित होकर उन्होंने रेले प्रकीर्णन के बारे में लोगों को समझाया

भारतीय सरकार के द्वारा उन्हें पहले भारत रत्न के रूप में नवाजा गया था