1. यदि हम जीवन की बात करें तो सबसे पहला तथ्य हमारे रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा हुआ है जैसे कि हम रोजना टीवी देखते हैं उसी से यह तथ्य जुड़ा हुआ है, यह माना जाता है कि हम टेलीविजन के माध्यम से जिस भी तरह का प्रोग्राम देखते हैं उसी तरह कि हमारी सोच बन जाती है, कई तरह की रिसर्च में पाया गया है कि वह व्यक्ति जो कि क्राइम या न्यूज़ ज्यादा देखते हैं वह दुनिया को एक डरावनी जगह के रूप में पाते हैं
तो वहीं दूसरी और बात करें उन लोगों की जो ज्यादा कॉमेडी वाले वीडियो या टीवी पर कॉमेडी के प्रोग्राम या फिर कल बनाओ से भरपूर रोमांचक वीडियोस या मूवी देखते हैं वह अक्सर खुशमिजाज रहते हैं, कहीं रिजल्ट में याद साबित हो चुका है कि यह दुनिया को ज्यादा सकारात्मक नजरिए से देख पाते हैं
2. Social psychologist Richard Nisbett मैं अपनी पुस्तक The Geography of thought मैं इंसानी व्यवहार के बारे में बताया है कि हमारा जीवन हमारा संस्कृति से जुड़ा हुआ होता है, एशियाई संस्कृति पश्चिमी संस्कृति से अलग है इसीलिए एशियाई लोगों के द्वारा समाज को देखने का नजरिया अलग अलग होता है, इस किताब के माध्यम से बताया गया है कि अक्सर पश्चिमी लोग किसी चित्र को दिखाने पर उस चित्र के मुख्य बिंदु पर ध्यान लगाते हैं जबकि एशियाई लोग उस चित्र के साथ साथ उसके आसपास की चीजों को देखते हैं और संपूर्ण रूप से देखने के बाद एक निश्चित निष्कर्ष पर जाते हैं, इस तरह पश्चिमी संस्कृति के लोगों में एवं एशियाई लोगों के रोजमर्रा के जीवन में अलग-अलग कठिनाइयों के पैटर्न के कारण इनमें अलग-अलग सोचने की क्षमता का विकास होता है
3. Evolutionary anthropology के जानकारी के अनुसार हम एक समय पर केवल 150 लोगों के साथ ही Close relationship रख सकते हैं, और ऐसा इस आधार पर कहा जा सकता है कि हमारा प्राचीन मानव इतिहास भी छोटे-छोटे समूह में रहा है, छोटे समूह में रहने के कारण हम एक दूसरे से मजबूती से जानकारियां साझा कर सकते हैं एवं रिसर्च के अनुसार यह सिद्ध भी हो चुका है
4. अक्सर हमें यह लगता है कि हम जो भी बाजार में खरीद रहे हैं उसे देख कर परख कर खरीद रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है, वास्तव में जब हम किसी चीज को खरीद रहे होते हैं तो हम उस समय हमारे अचेतन मन की मदद से यह फैसला करते हैं कि हमें वहां खरीदनी है या नहीं, यहां यह बात सही है कि हम अपने बजट को ध्यान में रखते हुए और जरूरत के हिसाब से मोबाइल या अन्य डिवाइस लेना चाहते हैं लेकिन फिर भी हम आसपास क्या ट्रेंडिंग है इसके आधार पर अपना चुनाव तय करते हैं
5. जब भी हम किसी भी Rule को फॉलो कर रहे होते हैं तब हमें किसी कारणवश असुविधा होने पर हम उस rule को तोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन जाने अनजाने हम उस रोल के साथ साथ अन्य rules भी तोड़ना चाहते हैं, और इस कारण हम एक के बाद एक लगातार नियम तोड़ते चले जाते हैं, और इस गुण को Reactance कहां जाता है
6. Pareidolia यह विज्ञान के द्वारा दिया गया एक शब्द है जो हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है और इसके अनुसार Evolution के कारण हम हर उस चीज जिसे हम निर्जीव कहते हैं उसमें सचिवों की तरह आंखें और मुख ढूंढना पसंद करते हैं, यह हमारा एक मनोवैज्ञानिक भ्रम होता है, जिसके कारण आपने देखा भी होगा कि चांदनी चौक टू चाइना मूवी में अक्षय कुमार आलू में गणेश जी को ढूंढते हैं
7. अक्सर हम यह बात सोचा करते हैं कि हमारे जीवन में जो भी हमारे साथ पहली बार हुआ है वह हमें साफ-साफ याद है लेकिन ऐसा नहीं है दरअसल जो भी घटना है हमारे साथ पहली बार हुई है वह हमारे दिमाग में सोए स्पष्ट रूप से स्टोर नहीं है, सायकोलॉजी के अनुसार हमारा दिमाग केवल उन्हीं चीजों को याद रखता है और हमें याद दिलाता है जो हमारे जीवन में भविष्य में काम आ सके, इसीलिए वह सभी यादें जो हमारे साथ केवल एक ही बार घट चुकी होती है, उनका यादाश्त से कमजोर होना स्वाभाविक है, यह तथ्य वैज्ञानिक रिसर्च में सिद्ध हो चुका है,
हम यह याद रखने के बजाय कि उस समय क्या हुआ था इसके बजाय हम उस घटना को हमारे हिसाब से याद रखने की कोशिश करते हैं जिससे हमें खुशी हो या रोमांच हो
8. यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है हमारे संगीत सुनने की आदत से जुड़ा हुआ है, अक्सर यह पाया गया है कि हमसे बड़े लोग पुराने गाने पसंद किया करते हैं जबकि हम नए गाने पसंद करते हैं, ऐसा अक्सर इसलिए होता है क्योंकि हमारा कॉलेज या स्कूल लाइफ हमारे अपनों से बड़े लोगों से अलग होता है, और इसके साथ साथ ही हम स्कूल एज में दिमाग का भी विकास हो रहा होता है, म्यूजिक सुनने के साथ-साथ हमारा दिमाग डोपामिन स्रावित करता है जिससे कि हमें सुखद एहसास होता है, इस कारण हमें हमारे स्कूल के समय सुनहरे गाने जीवन भर याद रहते हैं तथा हमें वही गाने पसंद होते हैं चाहे हम कितने भी बड़े ना हो जाए,
9. अक्सर हम यह मानते हैं कि अच्छा जीवन जीने के लिए स्वयं पर पैसे खर्च करना चाहिए, और कुछ हद तक यह बात सही भी हो सकती है. लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार यह माना गया है कि हम अक्सर ज्यादातर पैसे स्वयं पर खर्च नहीं करते हैं बल्कि हमारे साथ जो लोग रहते हैं ,उनके ऊपर करते हैं ताकि हम उन लोगों के सामने ज्यादा आत्मनिर्भर और दयालु बन सके जो कि अंतिम रूप से हमारे रिलेशनशिप को मजबूत करने में काम आता है, और लॉन्ग टर्म में हमें रिलेशनशिप से ही असली खुशी प्राप्त होती है, बल्कि अधिक धन जोड़ने से नहीं।
10. यह रोचक जानकारी हमारे खरीददारी के पैटर्न के बारे में है, वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार यह माना गया है कि जब हम उदास रहते हैं या किसी तरीके से परेशान होते हैं तो हम उन्हीं चीजों को खरीदना या खाना पसंद करते हैं जिन्हें हम पहले से ही खा चुके होते हैं, और यह जानकारी हमारी खरीदारी की आदत को भी प्रभावित करती है, अक्सर यह देखा गया है कि जब हम ज्यादा खुश होते हैं तो हम नहीं चीजें ट्राई करने की सोचते हैं, और जब हम दुखी होते हैं तो हम उन चीजों पर ज्यादा भरोसा करते हैं जिन पर हमने पहले से ही भरोसा कर रखा है, हमें इस बात को इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि जब हमारा मूड खराब रहता है तो हम कुछ नया करने के बजाए पुराने दिनचर्या को अपनाना पसंद करते हैं
ऊपर दिए गए सभी फैक्ट आपको बहुत अच्छे लगे होंगे और इसके साथ साथ हम आपको एक बोनस फैक्ट भी बताने वाले हैं,
हमारे जीवन में सबसे बड़ी चीज होती है भूख काम और डर। अक्सर हमें ऐसा लगता है कि हमारे जीवन में कोई डर नहीं है लेकिन वास्तव में हम भूख काम और डर से अपना पीछा नहीं छुड़ा सकते, इसे आसान भाषा में समझे तो जिंदा रहने के लिए हमारी भूख मिटना जरूरी है हमारा वंश आगे बढ़ाने के लिए काम इच्छा का होना जरूरी है और इसी तरह इन दोनों काम को करने के लिए हमारे दिमाग का पलट देना जरूरी है इसीलिए हमारा दिमाग हर समय आसपास के वातावरण को स्कैन करता रहता है और हमें डर लगने वाले या डराने वाली चीजों से दूर रखने को कहता है,
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